दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज़ादी के 75 साल बाद भी लोगों को पानी के लिए अदालत आना पड़ रहा है: हाई कोर्ट

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि पेयजल की नियमित आपूर्ति मौलिक अधिकार है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोगों को आजादी के 75 साल बाद भी पानी के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है. जस्टिस एसजे कथावाला और जस्टिस मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने पड़ोसी ठाणे जिला के भिवंडी शहर के कांबे गांव के ग्रामीणों की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह कड़ी टिप्पणी की. याचिका में ग्रामीणों ने ठाणे जिला परिषद और भिवंडी निजामपुर नगर निगम के संयुक्त उद्यम एसटीईएम वॉटर डिस्ट्रीब्यूशन और इन्फ्रा कंपनी को दैनिक आधार पर पानी की आपूर्ति करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है. याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि उन्हें महीने में सिर्फ दो बार पानी आपूर्ति होती है और यह सिर्फ दो घंटे के लिए होता है.

 

स्टेम के प्रबंध निदेशक भाउसाहेब डांगड़े ने बुधवार को अदालत को सूचित किया कि पानी की आपूर्ति रोजाना हो रही है, लेकिन यह सिर्फ एक निश्चित जगह होती है और उन्होंने दावा किया कि उस निश्चित जगह से ग्रामीणों को रोजाना पानी की आपूर्ति करने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की है. डांगड़े ने कहा कि पिछले कुछ साल में गांव में आबादी बढ़ने से पानी की मांग बढ़ी है. उन्होंने कहा, ‘हमें व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत है.’

 

इस पर अदालत ने पूछा कि व्यवस्था दुरुस्त होने तक याचिकाकर्ता क्या करें. हाईकोर्ट ने कहा, ‘रोजाना कम से कम कुछ घंटों के लिए पानी की आपूर्ति करनी होगी. यह उनका मौलिक अधिकार है. लोग इस तरह पीड़ित नहीं हो सकते. यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्हें (याचिकाकर्ताओं को) आजादी के 75 साल बाद भी जलापूर्ति के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा है.’

 

पीठ ने कहा, ‘हमें यह कहने के लिए मजबूर नहीं करें कि महाराष्ट्र सरकार अपने नागरिकों को पानी उपलब्ध कराने में विफल रही है. हम यह मानने से इनकार करते हैं कि राज्य सरकार इतनी लाचार है. हम राज्य सरकार के सर्वोच्च पदाधिकारी को बुलाने से नहीं हिचकिचाएंगे.’

 

याचिकाकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया था कि एसटीईएम कंपनी स्थानीय नेताओं और टैंकर माफियाओं को अवैध रूप से पानी की आपूर्ति कर रही थी और दावा किया कि मुख्य पाइपलाइन पर 300 से अधिक अवैध पानी के कनेक्शन और वाल्व लगाए गए थे.

 

अदालत ने डांगड़े से यह जानना चाहा कि इन मुद्दों के समाधान के लिए कंपनी क्या कदम उठा रही है. जस्टिस कथावाला ने कहा, ‘पहले तो इन अवैध कनेक्शन को हटाएं. आपने (एसटीईएम) पुलिस में कोई शिकायत दर्ज कराने की भी जहमत नहीं उठाई. आपकी निष्क्रियता के कारण याचिकाकर्ताओं को पानी नहीं मिल रहा है, जो कि उनका अधिकार है.’ हालांकि डांगड़े ने बताया कि जब वे अवैध कनेक्शन को हटाने गए तो 150 से अधिक लोगों का समूह वहां जमा हो गया और उनकी कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन करने लगा.

 

हाईकोर्ट ने डांगड़े को निर्देश दिया कि वह गली सुनवाई में प्रत्यक्ष रूप से अदालत में उपस्थित हों और हलफनामा दाखिल करें.

13 Replies to “दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज़ादी के 75 साल बाद भी लोगों को पानी के लिए अदालत आना पड़ रहा है: हाई कोर्ट”

  1. Genuinely impressed by The analysis. I was starting to think depth had gone out of style. Kudos for proving me wrong!

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